शुक्रवार, 2 मार्च 2012

गजलक इस्कूल भाग-11

Ashish Anchinhar गजलक एकटा मिसरा (पाँति) दए रहल छी जे केओ एकरा साँझ ७ बजे धरि पूरा करताह तनिका इ मिसरा सौंपि देल जाएत। इ मिसरा एना अछि-----

जल्दी टुटि गेलासँ दर्द नै होइ छै

मात्रा क्रम-----दीर्घ-दीर्घ--दीर्घ--दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ--ह्रस्व-दीर्घ

सरल वार्णिक बहर---१३ अक्षर
· · · 17 February at 10:52
    • मिहिर झा जल्दी टुटि गेलासँ दर्द नै होइ छै
      जिद्दी बनि गेलासँ मर्द नै होइ छै
    • Ashish Anchinhar मिहिर भाइ पहिल पाँति आ दोसर पाँतिक अर्थमे मिलान होएबाक चाही। तखने नीक शेर होइत छै। एहन शेर जकर पहिल पाँति किछु आर कहैत हो आ दोसर पाँति किछ आर से नीक नै..... एक बेर आर प्रयास.....
    • Amit Mishra jaldi juti gela san fard nai hoe chhai
    • मिहिर झा जल्दी टुटि गेलासँ दर्द नै होइ छै
      कुश्ती नहि केलासँ गर्द नै होइ छै
    • Ashish Anchinhar फेर ओहने सन....
    • Ashish Anchinhar काफिया दुरुस्त अछि.
    • मिहिर झा जल्दी टुटि गेलासँ दर्द नै होइ छै
      हौसला छै बुलंद सर्द नै होइ छै
    • Ashish Anchinhar शेरक पहिल आ दोसर पाँति भावानात्मक रूपें एकै बात कहैत हो----- जेना की-- मिहिर जीक पाँतिकेँ हम तोड़ि एना देलहुँ। देखल जाए। आ मिहिर जीसँ आग्रह जे आब ओ एना लिखथि---

      बकथोथी कुश्तीक गर्द नै होइ छै
      जिद्दी बनि गेलासँ मर्द नै होइ छै..
    • Amit Mishra जल्दी टुटी गेलासँ दर्द नै होइ छै ,
      जल्दी जुटि गेलासँ फर्द नै होइ छै ,

      जिनगी मे जौँ और किछ नै केलक ,
      रोटि आनि लेलासँ मर्द नै होइ छै ,

      सौँसे देह उधारे छै कोनो बात नै ,
      लुंगी पेन्हलासँ बेपर्द नै होइ छै ,

      महिना कतबो पलटी खाइ छैक ,
      मनुष्यक हृदय सर्द नै होइ छै
    • Ashish Anchinhar मिहिर भाइ आब एकरा एना देखू--

      नीके भेलै जे चलि गेल जिनगीसँ
      जल्दी टुटि गेलासँ दर्द नै होइ छै
    • Ashish Anchinhar बहुत नीक अमित जी। खास कए----

      जिनगी मे जौँ और किछ नै केलक ,
      रोटि आनि लेलासँ मर्द नै होइ छै ,

      आ तकरा बाद....

      सौँसे देह उधारे छै कोनो बात नै ,
      लुंगी पेन्हलासँ बेपर्द नै होइ छै ,

      वाह--------------
    • Amit Mishra दुनियाँ लेल अहाँ कतबो छी क्रुर ,
      माँ कए पुजलासँ वेदर्द नै होइ छै ,

      माँग मे सेनुर नै माटि भरि दियौ .
      माटीयो पड़लासँ गर्द नै होइ छै
    • Ashish Anchinhar vahhhhhhhhhhhhhh
    • Amit Mishra आब पुरा गजल

      जल्दी टुटि गेलासँ दर्द नै होइ छै ,
      जल्दी जुटि गेलासँ फर्द नै होइ छै ,

      जिनगी मे जौँ और किछ नै केलक ,
      रोटी आनि लेलासँ मर्द नै होइ छै ,

      सौँसे देह उघारे छै कोनो बात नै ,
      लुंगी पेन्हलासँ वेपर्द नै होइ छै ,

      मौसम कतबो पलटी खाइ छैक ,
      मनुष्यक हृदय सर्द
      नै होइ छै ,

      दुनियाँ लेल अहाँ कतबो छी क्रुर ,
      माँ के पुजलासँ वेदर्द नै होइ छै ,

      माँग मे सेनुर नै माटि भरि दियौ ,
      माटीयो पड़लासँ गर्द नै होइ छै . . . । ।
    • Amit Mishra dhanyawad
    • Amit Mishra KI AAB EKRA WALL PAR POST KA SAKAI CHHI ??



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