शनिवार, 3 मार्च 2012

गजलक इस्कूल भाग-20

Ekta misra da rahal chhi. Ekra poora karai jau
Ahaan kakhno ta baaT humar gharak dharabai.
Saral vaarnik 17 varn vaa Bahre hajaj.
Ashish bhai ekhan hum baaT me chhi tai nivedan achhi je e paanti ke devnagri me type ka ke comment par debaak kripa karu.
· · · Yesterday at 12:40 via Mobile
    • Ashish Anchinhar ओमप्रकाश भाइ केर आग्रह पर इ दए रहल छी---

      अहाँ कखनो तँ बाट हमर घरक धरबै....

      बहरे हजज
      सरल वार्णिक १७
    • Om Prakash Jha Dhanyvaad Ashish bhai.
      23 hours ago via Mobile ·
    • मिहिर झा अहाँ कखनो तँ बाट हमर घरक धरबै
      आखिर मे सही खुशी हमर मोनक भरबै
      20 hours ago · · 6
    • Ashish Anchinhar bahut neek
      20 hours ago · · 1
    • जगदानन्द झा 'मनु' अहाँ कखनो तँ बाट हमर घरक धरबै
      अहाँक हाथे ओहि दिन हम वरक धरबै
      20 hours ago · · 5
    • Om Prakash Jha Vaah Mihirji. Vaah Manu ji.
      20 hours ago via Mobile · · 2
    • जगदानन्द झा 'मनु' लाली सेनुर टुकली श्रृंगार हमर सबटा
      अहाँ बिनु एकरा हम कोनो सरक धरबै
      20 hours ago · · 5
    • Om Prakash Jha Bawaal Manu ji.
      20 hours ago via Mobile · · 2
    • मिहिर झा राति छल बड नमहर अहांक वियोग मे
      तकैत आँखे लेकिन प्रतीक्षा भोरक करबै
      20 hours ago · · 5
    • जगदानन्द झा 'मनु' एही जीबन में सिनेहिया अहाँ नहि भेटबै
      जिबते जीबैत हम तs बुझु नरक धरबै
      20 hours ago · · 5
    • मिहिर झा बिनु बुझने बात प्रीतके रुसि चलि गेलहु
      घुरब नहि त पोखरि हम नोरक भरबै
      20 hours ago · · 5
    • Om Prakash Jha Vaah Ostaad vaah. Bahut neek chali rahal achhi.
      19 hours ago via Mobile · · 4
    • जगदानन्द झा 'मनु' अहाँ हमर जिबनक पूर्निमाक इजोरिया
      अहीं हमर मोन में इजोत भोरक धरबै
      19 hours ago · · 5
    • मिहिर झा ओम ओम करैत अहां भेलहू किया बैरागी
      अपन घर तोडि गिरहस्ती लोकक हरबै
      19 hours ago · · 5
    • जगदानन्द झा 'मनु' अहाँ आब त फूसीयो सँ आबियो घर जाउ यौ
      मनु कखनो त कनिको कोनो सरक धरबै
      19 hours ago · · 3
    • जगदानन्द झा 'मनु' अहाँ कखनो तँ बाट हमर घरक धरबै
      अहाँक हाथे ओहि दिन हम वरक धरबै

      लाली सेनुर टुकली श्रृंगार हमर सबटा
      अहाँ बिनु एकरा हम कोनो सरक धरबै

      एही जीबन में सिनेहिया अहाँ नहि भेटबै
      जिबते जीबैत हम तs बुझु नरक धरबै

      अहाँ हमर जिबनक पूर्निमाक इजोरिया
      अहीं हमर मोन में इजोत भोरक धरबै

      अहाँ आब त फूसीयो सँ आबियो घर जाउ यौ
      मनु कखनो त कनिको कोनो सरक धरबै
      19 hours ago · · 9
    • Amit Mishra उपर देल गेल मिसरा कए सरल वार्णिक बहर मे दू टा अलग -अलग मूड मे लिखबाक कोशिश केने छी । ।

      < समाजीक >

      जीवन मे एक्को बेर मान समाजक राखबै ,
      अहाँ कखनो त= बाट हमर घरक धरबै ,

      भुतीया गेलौँ बिहाड़ि शहर दिश जे चललै ,
      धुमि उर्वर धरा पर पालो ह=रक धरबै ,

      हम गाम छी ,हम संस्कृती छी , हम इज्जत छी ,
      कखनो त= हमर जीर्ण देह पर ध्यान देबै ,

      सगरो अत्याचार ,सगरो लुट-पाट मचल छै ,
      कहियो त= अहाँ अपन सर्द खून गरमेबै ,

      पैसा कारी-उज्जर , भोजन दुर्लभ भेल आइ ,
      कखनो त= सत्यक मिझाईत मशाल जड़ेबै ,

      पहिले केऊ चलत त= काफिला बनबे करतै ,
      "अमित" कहिया कलम मे क्रांती भरि लिखबै . . . । ।

      अमित मिश्र
      10 hours ago via Mobile · · 1
    • Amit Mishra ‎2 *+* प्रेम-विरहक मूड मे *+*

      अहाँ कखनो तs बाट हमर घरक धरबै ,
      हमरा संगे-संगे अहूँ एक्के सड़क धरबै ,

      भाग्य मे जे लिखल अछि तें विरह मे मरै छी ,
      आशा केने छी कहियो तs मान नोरक धरबै ,

      राहू-केतू केने अन्हरीया ताशक सियाह छी ,
      हेतै जँ तेज मंगल तs ध्यान भोरक धरबै ,

      काँट कलपाबैए कने काल कनेक दर्द दs ,
      फुलो भेटबे करत , बाट नै ने डरक धरबै ,

      सिनेह जँ हारत तs समझू दुनियाँ डोलत ,
      लड़ाइ जीत, कहियो तs झण्डा प्यारक धरबै ,

      ठार दलान पर स्वागतक थारी सजेने छी ,
      माँग हमर राँगल हाथ सेनुरक धरबै ,

      नै मागै छी अकाशक लाख तरेगण हम यौ ,
      "अमित" कहियो तs गजल हजारक धरबै . . . । ।

      अमित मिश्र
      10 hours ago via Mobile · · 2
    • Durgesh Kumar Jha SUNDAR LIKHNE CHHI "amit " ji
      35 minutes ago via Mobile · · 1

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