बुधवार, 13 जून 2012

गजलकार परिचय शृखंला भाग-30


अनिल कुमार मल्लिक ( अनचिन्हार आखर पर " अनिल " नामसँ उपस्थित )
ई गजलक मामिलामे अनचिन्हार आखरक खोज छथि।

हिनक परिचय हिनक अपने शब्दमे-------

हम अनिल कुमार मल्लिक पिता श्री सुरेन्द्र लाल मल्लिक माता श्रीमती सुशिला देबी मल्लिक l हमर जन्म २२ दिसम्बर १९६२ मे झापा जिला, मेची अंचल, नेपाल मे भेल l हमर पुर्खा ग्राम महिशारि, थाना सिंघबारा, जिला दरिभंगा सॉ छलाह, करिब ११० साल पहिने राणा शासन के समय हमर बाबा स्व. जिवनाथ मल्लिक नेपाल अयलाह, सरकारी नोकरी गोश्वारा मे भेटलन्हि आ बाद मे पटवरिका भेटलन्हि त नेपाल के भ' क' रहि गेलहूँ हम सभ l हमर १० कक्षा तक के शिक्षा झापा के इस्कुल मे भेल, स्नातक तक के शिक्षा हमरा बिरगंज आ काठमाण्डु मे भेटल, जन प्रशासन बिषय मे स्नातकोत्तर के अन्तिम बरख छल मुदा कारण बस पुरा नहि क' सकलहूँ l २ भाई छी, ४ बहिन… हम सभ सॉ जेठ छी भाई के बिबाह बिदेह ग्रुप मे सदस्य छथि श्री बृषेश चन्द्र लाल, हुनकर जेष्ठ कन्या सॉ भेल l हमर मातृक समैला, ग्राम पोष्ट पचाढी, जिला दरिभंगा भेल l हमरा मैथिली भाषा आ अपन संस्कृती प्रति के प्रेम हमरा अपन दादी स्व.जोगमाया देबी सॉ भेटल ओ हमर आदर्श छथि l हम कओलेज के समय मे नाटक सभ लिखैत छलहूँ, गीत इ सभ गबैत छलहूँ सांस्कृतीक कार्यक्रम सभ मे नेपाली, हिन्दी, बाङ्ला या त फेर राजबंशी भाषा मे l मैथिली मे लिखनाई बुझू विदेह सॉ जुडला'क बाद मात्र सुरु भेल l मास साइत अक्टूबर २०११ मे पहिल पोष्ट छल "आखर आखर शब्द लिखै छी" l २ पुत्र'क पिता छी, पत्नी संगीता कुमारी कर्ण छथि l आशिष जी'क बताओल बेसीक कॉन्सेप्ट पर सरल बर्ण पर गजल लिखैत छी, एकटा दबाई के कम्पनि मे ब्यवस्थापक छी आ अपनो नीजी ब्यवसाय अछि त समय के कने कमी रहैत अछि l अन्चिन्हार आखर त कय बेर इ सोचि भिजिट करैत रहलौं की संभवतः हमहूँ सिख जायब मुदा नै सिख सकलहूँ अखनि धरि l हमरा नेपाल मे लोक मैथिली मे लिखैथ, पढैथ, भाषा के सम्मान भेटै से नीक लगैत अछि त जे समय भेटैत अछि कोशिष करैत छी, एकर अलावा अपन जन्म स्थान के बच्चा सभ'क शिक्षा प्रति सचेत छी आ जे संभव होइत अछि करवा'क चेष्टा करैत छी

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों