बुधवार, 6 जून 2012

आन-लाइन मोशायरा भाग-1

  • हमर एकटा इच्छा अछि कि अइबेर एहन आन-लाइन मोशायरा हो जकर विषय एकमात्र " शराब " टा रहत। जनिकर गजल, रुबाइ, कता आ शेरो-शाइरी शराब पर सभसँ बेसी नीक रहत हुनकर रचनाकेँ चयन कएल जाएत संगे-संग हुनका 251टकाक नगद पुरस्कार देल जाएत। ई मोशायरा आइसँ शुरू भए रहल अछि। ऐ पोस्टकेँ निच्चामे कमेन्टकेँ रूपमे अपन रचना देल जा सकैए। ऐ ठाम छोड़ि आन कतौ रचना देब तँ ओ मान्य नै हएत। ऐ मोशयाराक अंतिम तारीख 31/5/12 अछि। 2जूनकेँ एकर घोषणा कएल जाएत। ई प्रतियोगिता कमला-कोसी-बागमती सम्मानसँ हटि कए अछि। एकटा शायर अपन दस टासँ बेसी रचना नै देथि। से आग्रह। ई मैथिलीक पहिल आन-लाइन मोशायरा हएत। आ भविष्यमे हमरा लोकनि एकरा बराबर करैत रहब।
    · · · 22 May at 14:54
      • मिहिर झा सामने छल ठाढ देखु गजब भ गेल
        ताडी से बिलायल नीशा अजब भ गेल
        22 May at 14:57 · · 3
      • Ashish Anchinhar रचना पूरा हेबाक चाही। आधा-अधूरा नै।...
      • Chandan Jha रुबाइ

        देखू पियक्कर बताह जमाना के
        सून्न मंदिर भरले ताड़ीखाना के
        कनैत लोक हँसी किनबा ले लुटबैछ
        पेट काटि जोगाओल खजाना के ।
        22 May at 15:03 · · 5
      • Ashish Anchinhar हिन्दी आ उर्दू शब्द युक्त बला रचनाकेँ प्राथमिकता नै देल जाएत। जेना पैमाना लेल गिलास या कटिया या अन्य शब्दक प्रयोग कएल जाए।...
        22 May at 15:08 · · 1
      • Chandan Jha रुबाइ

        आँखिक नोर गिलास भरिकऽ पिबै छी
        चिर्री-चिर्री भेल सपन पुनि सिबै छी
        बिनु बसाते अजोह बाँस सन लिबै छी
        मृत्यु सँ समझौता कऽ जिनगी जिबै छी
        22 May at 15:09 · · 6
      • मिहिर झा रुबाइ
        लोक कहै जीबै ले पीयै छी शराब
        मोन कहै पीबै ले पीयै छी शराब
        सुनै बुझै के ज्ञान बचल नै आब
        करेज कें सीबै ले पीयै छी शराब
        22 May at 15:17 · · 7
      • Chandan Jha रुबाइ

        दूध सँ बेशी स्वाद लगैए ताड़ी मे
        खेत बिकैल लागल हाथ घराड़ी मे
        एखन तऽ अमृत लगैए चिखना संगे
        बुझबै जखन लीवर सड़त बुढ़ारी मे |
        22 May at 15:19 · · 5
      • Ashutosh Mishra छू दियौ पाईन आहाँ शराब भ जेतै ।
        देखि आहाँ के कियो बताह भ जेतै ।

        पिबे सब कियो शराब भठी मे जा ।
        देखि दियौ अपन नजैर स एक बेर ।

        नई पिबैतो ओकरा नशा भ जेतै ।
        किये जेतै ओ पिबए तारिखाना ।

        जेकर घरे नाशा आ शराब भ जेतै ।
        पिया दियौ किछु आँखी स नाशा ।

        कियो देखिते ओतै लोतपोट भ जेतै ।
        देखि दियौ अपन नजैर स एक बेर ।

        छू दियौ पाईन आहाँ शराब भ जेतै ।
        देखि आहाँ के कियो बताह भ जेतै ।
        22 May at 15:20 · · 3
      • मिहिर झा रुबाइ
        पानि पीबि अहां संगीत सुनै छी
        शराब पीबि हम रागिनी देखै छी
        इन्द्रधनुषी रंग राग के अद्भुत
        सुरा नर्तकी संग नृत्य करै छी
        22 May at 15:32 · · 5
      • Dhiraj Kumar Jha ओई दिना किछु मन बनेलौं
        आब नै चलs दबै ओकर जोर
        "शराब", हाँ हाँ शराबक दुई पैक लगेलौं
        पहिनs मुरी गोतनs अबैत रही
        आय बाहरे सs गर्जैत एलौं
        माहौल किछु एना बनैलौं
        जे माय कs आबैत देरी 'खेलs ?' पुछैत रही
        ओकरे पैहनs दू झार लगेलौं
        इमहर ताकलौं-उमहर ताकलौं
        बाबुजिके दरश नै भेल, हम्मर हिम्मत और बैढ़ गेल
        हाथ म नेनs बरका फट्ठा, दुई देग म नापलौं कट्ठा
        .... कता गेलियई ये ? आवाज गले म फैस गेल मुदा फेर लगेलौं
        भानस घsर सs निकलल उ,
        घाम पोछे लs ललौं रुमाल
        पि कs भी हम्मर पियर भेल
        ओक्कर ऐंख बिन पिनs लाल !
        बज्ज़र खसs ...
        की कही हाथ मs देख बड़का झारू
        एक्को क्षण नै हsम गमेलौं
        दुर्गा-रूप देख परेलौं ...
        आइ सs हम किरिया खेलों
        रोज समय पर घरे आयब
        शराब कs नै हाथ लगैब
        22 May at 15:36 · · 6
      • Chandan Jha रुबाइ

        देखू दारू गिलास मे डुबैत जिनगी
        सड़क कात सूतले बोकरैत जिनगी
        निशाँ मातल नौ हाथ फाँनैत जिनगी
        भक्क टूटला पर माथ पिटैत जिनगी ।
        22 May at 15:38 · · 7
      • Amit Mishra गजल

        ताड़ी के कने छानि क' दिअ
        दारू कतौ सँ आनि क' दिअ

        मर्दक छै पहचान दारू
        आइ त' छाती तानि क' दिअ

        डूबल छी जे मदहोशी मे
        रम मे गम सानि क' दिअ

        बंधन इ दुनियाँ के तोड़ू
        सबटा बान्ह फानि क' दिअ

        नैनक निशा बड चढ़ल
        ठोर सटा क' जानि क' दिअ

        गिलास छोरू बोतल लाबू
        "अमित" आइ हानि क' दिअ

        वर्ण-10

        अमित मिश्र
        22 May at 15:39 via Mobile · · 6
      • Ashutosh Mishra शराब हमर जान छि
        जान हमर बोतल मे
        नई पुछू एकर ताकत
        जा क देखु होटेल मे
        नई पुछे जाती पाती
        नई दुजा भाव कोनो
        हम भाग्यक पेरल छि
        कियो दोसर राग धेने
        शराब हमर जान छि
        जान हमर बोतल मे
        22 May at 15:39 · · 4
      • मिहिर झा रुबाइ
        शराब देखि किछु मोन पडैये
        बबूरक कांट करेज गडैये
        छोडि ने जाय ई शराबो हमरा
        तुरंत एकरा पीबय पडैये
        22 May at 15:46 · · 9
      • Chandan Jha रुबाइ

        ताड़ी छानब छोड़ि छानू निज विचार
        दारू ताकब त्यागि ताकू संस्कार
        अप्पन घर जाड़ि भट्ठी मे छी बैसल
        नजरि उठा देखू जड़ल केहन कपार ।
        22 May at 16:01 · · 7
      • मिहिर झा रुबाइ
        अहां छोडि गेलहु हमरा देखु दारू बजा रहल अछि
        लाल रंग मे रन्गि आई देखु हमरा सजा रहल अछि
        अस्पताल एक्केटा करेजक चोट के दुनिया मे मिहिर
        सिनेह देखि शराब के देखु दुनिया लजा रहल अछि
        22 May at 16:19 · · 6
      • Chandan Jha गजल-४८

        दू लबनी केर खेला देखू
        लागल रेलम रेला देखू

        फुसिए ठेलम ठेला देखू
        बलजोड़िक झमेला देखू

        मत्त गुरू संग चेला देखू
        नाच करै अलबेला देखू

        जीवन के संध्यावेला देखू
        कानै अनाथ कोरेला देखू

        विषले लागल मेला देखू
        अमृत भेल करेला देखू

        ------वर्ण-१०------
        22 May at 16:52 · · 9
      • मिहिर झा रुबाइ
        भीजल केश से खसल बुन्न शराबक गिलास मे
        शराबो नीशा मे माति गेल मिलनक अभिलास मे
        रहितहुँ जँ महादेव पचा लेतहु यौवनमद
        देखिये आब तृप्त भेलहु अनंत नित्य उल्लास मे
        22 May at 16:54 · · 8
      • Amit Mishra गजल

        अहाँक यादि मे नै पिबै छी शराब
        अहाँक यादि लेए किनै छी शराब

        ...See more
        22 May at 20:36 via Mobile · · 4
      • मिहिर झा रुबाइ
        शराब त पानि छै नीशा एकर अही तछी
        सिनेह त ठाम छै दिशा एकर अही तछी
        छैक शराबी संग टूटल करेजक गाथा
        शराब पीबै कोइ खिस्सा एकर अही तछी
        23 May at 09:15 · · 7
      • Amit Mishra गजल

        बिसरलौँ जग पिबै छी बोतल शराबक
        मनक मारल चुमै छी बोतल शराबक

        हमर छै जीत मैखाना मे पियाबू
        अपन नामे लिखै छी बोतल शराबक

        हमर छै जान ई अंगुरक पानि नै छै
        बनै शोणित किनै छी बोतल शराबक

        शहर के कोन मैखान जत' पिलौँ नै
        जहर दर्दक कहै छी बोतल शराबक

        गिलाससँ आब पल भरि दोस्ती क' देखू
        घर स्वर्गक रहै छी बोतल शराबक

        जनम भेलै इयादक तहिये सँ झूमैँ
        "अमित" संगे रखै छी बोतल शराबक

        मफाईलुन-मफाईलुन-फाइलातुन
        1222-1222-2122
        बहरे-करीब

        अमित मिश्र
        23 May at 10:35 via Mobile · · 5
      • मिहिर झा रुबाइ
        ऊँच नीच के भेद मिटबै छै शराब
        दुश्मनो के त दोस्त बनबै छै शराब
        लडै कतबौ बैसि टेबुल पर मुदा
        डोलैत संग संग निकलै छै शराब
        23 May at 11:02 · · 6
      • जगदानन्द झा 'मनु' आँचर नहि उठाबू आँखि सँ तँ पिबअ दिय
        हम जन्म सँ पियासल करेज जुड़बअ दिय
        केँ कहैत अछि निसाँ शराब में बड अछि
        कनीक अपन प्रेमक निसाँ तँ पाबअ दिय
        23 May at 12:11 · · 7
      • Ashutosh Mishra तु सँग छोएर गेलेंए आब एह हमर आश अई
        तु बहुत दूर गेलेंने मुद्दा ई हमर साथ अई ।

        शराबक नाम बिना मतलब बदनाम सबतैर
        हरेक दुखि के एके ईलाज देखु सबतैर ।

        झगरा मे दारु चुप चाप मे गाँजा
        मोन बहुत खुस अई त भाँग दियौ ताजा
        23 May at 21:16 · · 2
      • Amit Mishra जिनगीक नशा घटबै छी पी क' शराब
        क्षणिक तड़प के भगबै छी पी क' शराब
        बूझै छी छै अमृतक बोतल भरल इ
        विरहक रचना बनबै छी पी क' शराब

        गजल

        चल लिखल जेए कोनो शराबी गजल
        नब रचल जेए दर्दक कटारी गजल

        भरि ले कलम मे स्याही शराबक आइ
        अंगुरक ज'ल मे घोरब गुलाबी गजल

        बहुते चलै छै ओकर सबालक नजर
        चल आइ भेजब पहिलुक जबाबी गजल

        दारू सँ जड़बै छी हम जुआनी अपन
        सब के पिया दी एखन हजारी गजल

        छै नाम ओकर दोसर नशा के नगर
        तेँ जाइ छी मैखाना सलामी गजल

        लागै गिलासो एखन नशा मे ग'जब
        छै "अमित" कोनो प्रेमक कहानी गजल

        मुस्तफइलुन-मफऊलातु-मफऊलातु
        2212-2221-2221
        बहरे-सलीम

        अमित मिश्र
        24 May at 11:23 via Mobile · · 6
      • जगदानन्द झा 'मनु' रुबाइ
        पीबू नै शराब हम जीबू कोना क'
        फाटल करेज केँ हम सीबू कोना क'
        सगरो जमाना भेल दुश्मन शराबक
        सबहक सोंझा तँ आब पीबू कोना क'
        24 May at 12:09 · · 5
      • Gulab Pathak je hob ke hua barbad,
        24 May at 12:30 · · 1
      • Gulab Pathak je hobe ke hua barbad, t pibu khub sarab.
        24 May at 12:31 · · 1
      • Chandan Jha रुबाइ

        अहीँक प्रेमक छाह जीब' चाहै छी
        अहीँक आँचरक हवा पीब' चाहै छी
        अपन फाटल करेजा सीब' चाहै छी
        अहीँक नैनक शराब पीब' चाहै छी ।
        24 May at 12:37 · · 7
      • जगदानन्द झा 'मनु' रुबाइ
        छी हम पिबैत सभ कहलक शराबी अछि
        हमरो आँखि सँ देखू की खराबी अछि
        बुझलौं अहाँ सभ दुनियाक ठेकेदार
        आबू संग पीबि केँ नहि शराबी अछि
        24 May at 12:52 · · 5
      • Chandan Jha पियब नै शराब तऽ जिनगी कोना कटत
        मोनक भाव प्रेमक फुनगी कोना चढ़त ?
        24 May at 12:52 · · 4
      • Sunil Kumar Pawan Bahut neek,,............MON AANANDIT BHEL.
        24 May at 13:31 · · 5
      • जगदानन्द झा 'मनु' गजल
        ओ निसाँ शराब में कतए चाहि जे पिबैक लेल
        बहाँना माहुर में कतए चाहि जे चिखैक लेल

        सगरो बहल अछि धाड आब शराबक देखू
        लाबू कतय सँ सूई-ताग ई धाड सिबैक लेल

        बचल किए आब शराबे टूटल करेज लेल
        बहुतो छै जीबन में एकर बादो जिबैक लेल

        जँ डगमगएल डेग शराबे किएक थामलौं
        बाँकी अछि एकर बादो बहुत सिखैक लेल

        बहाँना बहुत अछि दुनियाँ में एखनो जिबै के
        आबू मनु देखू बहुत किछ अछि पिबैक लेल
        वर्ण- १८
        जगदानन्द झा 'मनु'
        25 May at 14:15 · · 3
      • Binit Thakur बोतल में बन्द जीनगी दारु बनल जान ।
        दर–दर हम भटकी खोजी अपन चान ।।
        25 May at 18:44 · · 4
      • Ashish Anchinhar Binit Thakur-- बहुत नीक मुदा कने उर्दू शब्द हटा देबै तँ मजा आबि जेतै। ..
        25 May at 18:50 · · 1
      • Ashish Anchinhar Binit Thakur---बोतलमे बन्द जिनगी दारू बनल छै जान
        सभठाँ हम ताकि रहलहुँ कोनो अहीं सन चान

        22221-22221-2221
        25 May at 18:59 · · 5
      • Ashish Anchinhar आगू लिखू बिनीत जी.
        25 May at 18:59 · · 2
      • Prabin Chaudhary Pratik चलि गेलिह ओ जहियासँ लs कs हमर प्राण
        झखैत छलहुँ हम मुदा भेटल दारु अमृत समान
        बोतलमे बन्द जिनगी दारू बनल छै जान..........
        25 May at 20:22 · · 3
      • Amit Mishra गजल

        शहर के सब शराबी चलू घ'र हमर
        ओतै नशा के बसेबै नया शह'र हमर

        भ' क' दुनियाँ सँ अलग कने काल झूमब
        क्षणे मे हरिया जेतै सुखल च'र हमर

        नदी नोर मे घोरब रंग बिरंगक पानि
        कोनो इयादक चखना हेतै क'र हमर

        पिबै सँ पहिले मीता मुनि ले आँखि अपन
        कहै नै इयाद नै केलौँ दिलब'र हमर

        खसै छी बीच्चे सड़क त' कहै शराबी सब
        ओकरा हँसबै लेए खसै छै ध'र हमर

        भ' क' बदनाम "अमित " जी सकै छी हम त'
        कहत जँ वेवफा त' जड़त घ'र हमर

        वर्ण--16

        अमित मिश्र
        26 May at 12:11 via Mobile · · 5
      • मिहिर झा रुबाइ
        बहुत पी लेलहु आब और जिद नै करू
        बहुत जी लेलहु आब और जिद नै करू
        टूटि रहल करेज हमर किश्त किश्त मे
        बहुत सी लेलहु आब और जिद नै करू
        26 May at 12:29 · · 7
      • जगदानन्द झा 'मनु' रुबाइ
        पीलौं शराब तँ दुनिआ कहलक बताह
        नहि पिने ई दुनिआ लगैत अछि कटाह
        बिन पिने सभतरि मचल अछि हाहाकार
        तँ पिबिए क' किएक नहि बनि जाइ घताह
        26 May at 12:40 · · 9
      • Chandan Jha रुबाइ

        छाक भरि के आइ पीबय दिअ' हमरा
        पोख भरि के जिनगी जीबय दिअ' हमरा
        खोँचाह बात से लागल खोँच, फाटल,
        गुदरी भेल जिनगी सीबय दिअ' हमरा ।
        26 May at 16:28 · · 10
      • Binita Jha नहि पिने ई दुनिआ लगैत अछि कटाह
        बिन पिने सभतरि मचल अछि हाहाकार न
        sabhak likhal bahut neek; lekin ei duta line humra sab sae neek lagal
        26 May at 20:43 · · 5
      • Madhupnath Jha नशा शराब में नहिं होय छैक
        होइतैक त' बोतलो बहैक जैतैक
        हम पीब अहाँ के नैन कें
        नशा तखने हमरा हेतैक
        26 May at 22:03 · · 4
      • Brikhesh Chandra Lal वाह, चन्दनजी । अति सुन्दर ।
        26 May at 22:15 · · 2
      • Madhupnath Jha पीबि त' नहिं मुदा पिबइत देखलहुं |
        शराब'क नशा में डुबइत देखलहुं | |
        बाटे=बाटे में हुनका झूमइत देखलहुं |
        गप्प -गप्पे में ठहाका लगबइत देखलहुं | |
        26 May at 22:32 · · 8
      • Amit Mishra गजल

        नै जीयत शराबक नशा लागल लोक
        कोना हँसत कोनो दुखक खेहारल लोक

        काठी फेकबै आगि उठतै बोतल सँ
        नै रहतै जवानी अपन जाड़ल लोक

        के कानक कतौ आन लेए क'ह एत'
        नै छै समय ककरो अपन भागल लोक

        दै छै साँस कखनो अपन धोखा आब
        एहन नेह मे छै किए पागल लोक

        जड़तै एक दोसर सँ जिनगी मे जखन
        कटतै घेँट अपने सबर हारल लोक

        क्षण भरि के नवल दोस्त नै चाही आब
        हमरा "अमित" चाही अपन झाड़ल लोक

        मफऊलातु-मुस्तफइलुन-मफऊलातु
        2221-2212-2221
        बहरे-हमीद

        अमित मिश्र
        28 May at 11:15 via Mobile · · 5
      • जगदानन्द झा 'मनु' रुबाइ
        भेटल नहि स्नेह तँ हम शराबे पीलौं
        रहितौं अहाँक संग तँ जुनि किछु छुबितौं
        केँ कहैत अछि छथि भगबान मंदिर में
        हुनकर दर्शन अहाँक स्नेह में पेलौं
        28 May at 14:39 · · 5
      • Kundan Kumar Ghogh hunak dekhal daroo me, Dekhal payal pyalee me. Chiyars chiyars kahi laga lelahu, hunake thodhak lalee me.
        28 May at 14:47 · · 2
      • Jayprakash Jha जिनगी पूछि रहल बेर -बेर हिसाब जकर

        मीत या हीत बनल कहिया शराब हमर

        झूठ कि साँच बाजी आब नै ई दुविधा अछि
        ...See more
        28 May at 14:54 · · 2
      • Jayprakash Jha सुनरी हमर हाथ थैम के बड्जोरी की पिया देलें

        सुन्न -सुन्न लागय छल जिनगी सच्चे तूहीं जिया लेलें

        एहि से पहिने कहाँ भान छल सुन्दरता की चीज थिकै

        एक घूँट मे एहेन विविधता एतेक दिन दूर किए छेलें

        पग नहि थिर नहि बोली स्थिर तैओ मोन हर्षित हरदम

        बिसरा के संसारक झंझट जीत हमर तू हिया लेलें

        तोहर नैनक नशा थिकौ की रंग -बिरंगी मदिरा केर

        जे होऊ सभटा नीक लगई ये काज ई तू बढ़िया केलें

        देख जखन तू गरा लगेलें नशा तोरि के नहि जैहें

        जौं छोरबें त जनम -जनम धरि कहबोउ ई तू किए केलें

        जय प्रकाश झा
        28 May at 16:09 · · 3
      • Prabhat Ray Bhatt Uyfm गजल@प्रभात राय भट्ट
        गजल
        पी कs शराब जे बनैय नबाब
        झूठ जिन्गी के ओ करिय बचाब

        पी क शराब जे देखाबै नखरा
        जमाना ओकरा कहैय खराब

        नीसा सं मातल ओ ताडिखाना में
        लडैत पडैत पिबैय शराब

        ओ खोजैय प्रीतम के बोतल में
        बोतल शराब लगैय गुलाब

        ---प्रभात राय भट्ट -------

        रुबाई
        गम गम गमकै छै महफ़िल सजल छै गुलाब
        छल छल छलकै छै गिलास में भरल छै शराब
        एक घूंट में कियो पीगेल उठाके बोतल समूचा

        मातल पियक्कड़ कहैत छै गंगाजल छै शराब

        रुबाई
        पियक्कड़ के कहैय कियो खराब एही जमाना में
        ओ खुद नुका कs पिबैय शराब एही ताडिखाना में
        घुटुर घुटुर पीवगेल भरल गिलास शराब
        छोडीगेल एक राज की किताब एही ताडिखाना में
        28 May at 20:23 · · 5
      • जगदानन्द झा 'मनु' रुबाइ
        पीलौं नहि शराब तँ हम किछ बूझब की
        बिन पीने दुनिआ में करब तँ करब की
        एक दोसर केँ सभ अछि खून पिबैत
        नहि पीने खूनक घूट पी क' रहब की
        30 May at 12:24 · · 4
      • Ashish Anchinhar आइ राति ठीक बारह बजे ई मोशायरा बन्द भए जाएत। सभ प्रतिभागीकेँ धन्यवाद। चयनकर्ता लोकनि अपन काजमे लागल छथि। दू जूनक बाट जोहल जाए। सभ प्रतिभागीकेँ शुभकामना। ....
        31 May at 19:25 · · 5
      • Amit Mishra रूबाइ

        जिनगी मे जे नै पिने अछि ताड़ी यौ
        बनल बताह करैए मारा मारी यौ
        ताड़ीखाना जाइ वला अपन सोचै
        जे नै जाइ से माँगै रंगदारी यौ





        रूबाइ

        दूध मे ओ स्वाद कहाँ जे ताड़ी मे
        अमृत भरल चखना माँछ सोहारी मे
        बिसरि जाएब जिनगीक सबटा दुख यौ
        बसि क' देखू कने शराबक थारी मे



        रूबाइ

        जीवनक महफिल के जान छै शराब
        प्रेमक जख्मके राम वाण छै शराब
        हर्ष शोक दुनू मे एक छै शराब
        मानू त' पानि नै त' प्राण छै शराब
        31 May at 19:44 · · 3
      • Nagesh Mishra शराब हमहू पिबै छी मुदा "इबादत" के
        नशा में हमहू टगै छि मुदा "मुहब्बत" के
        नशा अहू में छई आउ हम्मर संग पिऊ
        अपना ले सब जिबई ये कनी अनको ले जियू .....
        31 May at 20:10 · · 3
      • Amit Mishra mukund mayank jik ee gajal

        सुनैए छी यौ भाइ शराब आहाँ छी महान
        किया अहाँ के पिला बाद भ जाय छी शैतान

        ...See more
        31 May at 20:33 · · 2
      • Madhupnath Jha Madmast Bhai Chalal Jaa Rahal Chhii,
        Hamar Ghar Katay Achhi..
        Haalat bhai Gel Achh Ehan
        Kona Waali Lag Jaau Hiya Nahi Achhii...
      • Manoj Jha सब तोरे स जरैय , पर तोरे पर मरैय . तु अंगुर के बेटी छेँ , सब तोरे स तरैय .
        31 May at 23:15 via Mobile · · 4
      • Ashish Anchinhar बस कनेकबे देर..........................आर लगतै...
        2 June at 16:58 · · 1
      • Ashish Anchinhar हमरा ई कहैत बड्ड खुशी भए रहल अछि जे मैथिलीक पहिल आन-लाइन मोशायराक विजेता मिहिर झा छथि। ऐ रुबाइ लेल हुनका ई सम्मान देल जा रहल अछि------

        शराब तँ पानि छै निसाँ एकर अहीँ तँ छी
        सिनेह तँ ठाम छै दिशा एकर अहीँ तँ छी
        छैक शराबी संग टूटल करेजक गाथा
        शराब पीबै कोइ खिस्सा एकर अहीँ तँ छी

        बधाइ मिहिर जीकेँ।

        संगे-संग ऐ मोशायराक हरेक शेरो-शाइरी अपना-अपना जगह पर नीक छल। आ हमरा लोकनिकेँ खूब आनंद देलक। आशा अछि जे आगू होमए बला मोशायरा आर नीकसँ हएत। .......................................
        2 June at 19:55 · · 10
      • Prabhat Ray Bhatt Uyfm mihir ji ke badhaii
        2 June at 21:20 · · 2
      • Rajeev Ranjan Mishra बधाइ मिहिर जीकेँ।
        3 June at 07:06 · · 1
      • Gajendra Thakur मिहिर जी केँ बधाइ।
        3 June at 10:38 · · 1
      • जगदानन्द झा 'मनु' मिहिर झा जीकेँ बधाइ।
        3 June at 11:16 · · 1
      • Manoj Jha बधाई मिहिर बाबु .
        3 June at 15:53 via Mobile · · 1
      • Om Prakash Jha Ostaad Mihir bhai ke badhai.
        3 June at 16:07 via Mobile · · 1
      • Amit Mishra kolkata me exam k chalte kane vyast chhi ten kanek deri san hamra dish san badhai
        3 June at 17:33 via Mobile · · 2

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