शुक्रवार, 9 जून 2017

गजल

चुपचाप देखब कपारमे
चुपचाप चाहब कपारमे

ओ जे जे कहथिन सएह सभ
चुपचाप मानब कपारमे

सपना अपन आँखि के बहुत
चुपचाप डाहब कपारमे

ई नोर हुनके हँसी सनक
चुपचाप कानब कपारमे

देखा कऽ लिखलहुँ ई पाँति आ
चुपचाप मेटब कपारमे

सभ पाँतिमे 2212-212-12 मात्राक्रम अछि
दोसर आ चारिम शेरक पहिल पाँतिमे एकटा दीर्घकेँ लघु मानि लेबाक छूट लेल गेल छै
सुझाव सादर आमंत्रित अछि

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों