बुधवार, 17 जनवरी 2018

हिंदी फिल्मी गीतमे बहर-4

गजलक मतलामे जे रदीफ-काफिया-बहर लेल गेल छै तकर पालन पूरा गजलमे हेबाक चाही मुदा नज्ममे ई कोनो जरूरी नै छै। एकै नज्ममे अनेको काफिया लेल जा सकैए। अलग-अलग बंद वा अंतराक बहर सेहो अलग भ' सकैए संगे-संग नज्मक शेरमे बिनु काफियाक रदीफ सेहो भेटत। मुदा बहुत नज्ममे गजले जकाँ एकै बहरक निर्वाह कएल गेल अछि। मैथिलीमे बहुत लोक गजलक नियम तँ नहिए जानै छथि आ ताहिपरसँ कुतर्क करै छथि जे फिल्मी गीत बिना कोनो नियमक सुनबामे सुंदर लगैत छै। मुदा पहिल जे नज्म लेल बहर अनिवार्य नै छै आ जाहिमे छै तकर विवरण हम एहि ठाम द' रहल छी-----------------

आइ देखू प्रसिद्ध गीतकार हसन कमालजीक लिखल आ "निकाह" फिल्म केर ई नज्म जकर बहर 2122 2122 212 अछि। मात्रा निर्धारणमे उर्दू ओ हिंदीक नियम लागल छै। (ओना तेसर शेरक दोसर पाँतिक शब्द "शायद" केर मात्राक्रम 21 करबाक लेल एकरा शाय्द मानल गेल छै) आन नज्मक अपेक्षा एकर शेर सभमे विविधता अछि तँइ हम एकरा गजल कहब बेसी उचित बुझैत छी।


दिल के अरमां आँसुओं में बह गए
हम वफ़ा करके भी तनहा रह गए

ज़िंदगी एक प्यास बनकर रह गयी
प्यार के क़िस्से अधूरे रह गए

शायद उनका आख़री हो यह सितम
हर सितम यह सोचकर हम सह गए

ख़ुद को भी हमने मिटा डाला मगर
फ़ास्ले जो दरमियाँ थे रह गए

एहि नज्मक तेसे शेर बहुत मारुक अछि। शेरमे वर्णित "सितम" शब्द किछु भ' सकैत छै। ई प्रेमक सितम सेहो हेतै तँ व्यवस्थाक कि दैवक सितम सेहो भ' सकैए। फिल्म देखि क' एकरा मात्र प्रेमी प्रेमिका लेल बूझए बला लोक अबोध छथि से हम साफ साफ कहब।

सुनू ई नज्म

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों