शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

बाल गजल

बौआ हमर छै बुधिआर
लोकक करै छै सत्कार

ज्ञानी जकाँ कनिये टासँ
माएसँ सिखलक संस्कार

संगी बना ओ पोथीक
मानै कलमके संसार

खाना समयपर खेलासँ
देखू बनल छै बौकार

हँसिते रहल सदिखन खूब
मुस्कान देलक उपहार

कुन्दनसँ खेलाइत काल
जितबाक केलक जोगार

बहरे - मुन्सरह

© कुन्दन कुमार कर्ण

www.kundanghazal.com

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों